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इतिहास

जिले का इतिहास – बालाघाट

बालाघाट जिला, मध्यप्रदेश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इस क्षेत्र का इतिहास 18वीं शताब्दी की शुरुआत से दर्ज है, जब यह दो प्रमुख गोंड राजवंशों – देवगढ़ और गढ़-मंडला – के अधीन था। वैनगंगा नदी के पश्चिम का भाग देवगढ़ साम्राज्य के अंतर्गत आता था, जबकि पूर्वी भाग गढ़-मंडला के शासन में था।

मराठा और ब्रिटिश शासन:
1743 में नागपुर के भोंसले मराठों ने देवगढ़ को अपने अधीन कर लिया। इसके बाद 1781 तक यह पूरा क्षेत्र मराठा पेशवाओं के नियंत्रण में आ गया। 1798 में भोंसले वंश ने पूर्वी गढ़-मंडला क्षेत्र भी प्राप्त कर लिया।
1818 में तीसरे एंग्लो-मराठा युद्ध के उपरांत नागपुर राज्य ब्रिटिश भारत का अधीनस्थ राज्य बन गया और 1853 में इसे पूर्णतः ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। इसके बाद 1861 में इसे केंद्रीय प्रांतों में पुनर्गठित किया गया।

बालाघाट जिले का गठन:
बालाघाट जिला का औपचारिक गठन वर्ष 1867 में भंडारा, सिवनी और मंडला जिलों के कुछ भागों को मिलाकर किया गया। आरंभ में इसका मुख्यालय “बुरा” या “बूढ़ा” कहलाता था, जिसे बाद में “बालाघाट” नाम से जाना जाने लगा। प्रशासनिक रूप से जिले को दो प्रमुख तहसीलों — बैहर (उत्तर) और बालाघाट (दक्षिण) — में विभाजित किया गया।

नाम की उत्पत्ति:
“बालाघाट” नाम की उत्पत्ति स्थानीय पहाड़ी मार्गों (घाटों) से मानी जाती है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, इस क्षेत्र में 12 प्रमुख घाट थे — जैसे मासेन घाट, कंजई घाट, डोंगरी घाट, तेपागढ़ घाट आदि। इन्हीं के आधार पर पहले इसका नाम “बारहघाट” प्रस्तावित किया गया था, जो बाद में उच्चारण और प्रेषण प्रक्रिया के दौरान “बालाघाट” बन गया।

प्राकृतिक आपदाएं और विकास:
19वीं शताब्दी के अंत में बालाघाट भीषण अकाल की चपेट में आया, विशेष रूप से वर्ष 1868-69, 1896-97 और 1899-1900 के दौरान। इन वर्षों में चावल की फसलें लगभग पूरी तरह नष्ट हो गईं, जिससे जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई।
1904 में जबलपुर-गोंदिया रेललाइन के पूर्ण होने के साथ जिले में परिवहन सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ।

स्वतंत्रता के बाद का बालाघाट:
1947 में देश की स्वतंत्रता के बाद बालाघाट मध्य प्रदेश राज्य का हिस्सा बना। 1 नवंबर 1956 को राज्य पुनर्गठन के बाद इसे जबलपुर संभाग में सम्मिलित किया गया। इसी समय जिले के दक्षिणी हिस्सों को (जैसे नागपुर, भंडारा, गोंदिया) बॉम्बे राज्य में स्थानांतरित कर दिया गया।

वर्तमान स्थिति:
बालाघाट वर्तमान में खनिज संसाधनों, जैव विविधता और वन संपदा के लिए प्रसिद्ध है। मालांजखंड की तांबे की खदान एशिया की सबसे बड़ी खानों में गिनी जाती है। साथ ही, यह जिला ऐतिहासिक दृष्टि से भी समृद्ध है, जिसमें पंवार राजपूतों द्वारा बसाए गए गाँव, प्राचीन बौद्ध मंदिरों के अवशेष और जनजातीय संस्कृति की गूंज आज भी सुनाई देती है।