“बालाघाट चिन्नौर” चावल
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले को प्राकृतिक रूप से चावल उत्पादक भूमि के रूप में विशाल जैव विविधता का उपहार मिला है, जिसे बालाघाट के आदिवासी और गैर-आदिवासी कृषकों द्वारा सदियों से पारंपरिक रूप से संरक्षित किया गया है। बालाघाट के कई लोकप्रिय चावलों में से, चिन्नौर चावल बालाघाट की सबसे लोकप्रिय किस्म है, जिसका “बालाघाट चिन्नौर” नाम ही अपने आप में एक ब्रांड है। अपने अनूठे स्वाद, सुगंध और कोमलता के कारण चिन्नौर चावल प्राचीन काल से ही धार्मिक समारोहों, विवाह समारोहों और दावतों में लोकप्रिय रहा है। बालाघाट की इस अनूठी विरासत को सुरक्षित रखने के लिए “बालाघाट चिन्नौर” चावल को 14 सितंबर 2021 को बौद्धिक संपदा अधिकार, भारत सरकार द्वारा भौगोलिक संकेत (जी.आई.) टैग प्रदान किया गया था और इसे बालाघाट जिले का “एक जिला-एक उत्पाद” के रूप में भी चुना गया था।
‘एक जिला-एक उत्पाद’ के रूप में चयनित “बालाघाट चिन्नौर” का उत्पादन पूरे बालाघाट जिले में होता है, लेकिन उच्च गुणवत्ता वाली चिन्नौर मुख्य रूप से जिले की वारासिवनी, लालबर्रा, खैरलांजी और कटंगी तहसील में उगाई जाती है। जिले में चिन्नौर उत्पादन के लिए उपयुक्त भूमि, उत्पादकता और गुणवत्ता के आधार पर चिन्नौर उत्पादक क्लस्टर्स का चयन किया गया। जिले में “बालाघाट चिन्नौर” का उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषकों को सिंचाई, कीट प्रबंधन, रोग प्रबंधन, बीज उत्पादन और चिन्नौर फसल की कटाई पर तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। चिन्नौर के तैयार सत्यरूप बीज की खरीद दर, ग्रेडिंग, शॉर्टिंग, पैकेजिंग, परीक्षण और मूल्य निर्धारण के लिए जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया। भविष्य में चिन्नौर उत्पादन का क्षेत्र 5000 हेक्टेयर तक बढ़ाया जाएगा। उचित तकनीकों का उपयोग करके चिन्नौर के प्राकृतिक और जैविक उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा।
जिले के गुणवत्ता युक्त चिन्नौर उत्पादक विकासखण्ड वारसिवनी और लालबर्रा में केंद्रीय वित्त पोषित योजना ‘10000 एफपीओ का गठन और संवर्धन’ के तहत ‘एक जिला-एक उत्पाद’ आधारित दो एफ.पी.ओ. ‘चिन्नौर वैली प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, वारासिवनी’ एवं ‘लालबर्रा चिन्नौर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, लालबर्रा’ का गठन किया गया हैं, जो चिन्नौर उत्पादन, बीज उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और ‘बालाघाट चिन्नौर’ चावल के विपणन का कार्य कर रहे हैं। साथ ही जिले में लगभग 20 से अधिक राईस मिलर्स और व्यापारी “बालाघाट चिन्नौर” के प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन का कार्य कर रहे हैं। जिले में केंद्रीय वित्त पोषित योजना कृषि अधोसंरचना कोष (ए.आई.एफ.) के तहत चिन्नौर उत्पादन हेतु 35 कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण हेतु 67 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयां तथा भंडारण हेतु 26 वेयरहाउस स्थापित किये गये है।
जिले के चिन्नौर उत्पादक किसानों को अब उनके चिन्नौर धान के लिए 5000-6500 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत मिल रही है, जो धान के एम.एस.पी. (2183 रुपये) की तुलना में तीन गुना है। इसके अलावा कुछ किसान अब अपना स्व-प्रसंस्कृत “बालाघाट चिन्नौर” चावल भी 10000-12000 रुपये प्रति क्विंटल. में बेच रहे हैं। ऐसा लगता है कि किसान अपनी ओडीओपी फसल चिन्नौर का विपणन करके दोहरी आय हासिल करने जा रहे हैं।