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राम मंदिर, रामपायली

श्रेणी ऐतिहासिक, धार्मिक, प्राकृतिक / मनोहर सौंदर्य

राम पायली: बालाघाट का ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल

बालाघाट जिले से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राम पायली एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो अपनी प्राचीन विरासत और आस्था के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान विशेष रूप से श्री राम बालाजी मंदिर के लिए जाना जाता है, जो लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

श्री राम बालाजी मंदिर की ऐतिहासिकता

राम पायली नगर पश्चिम दिशा में स्थित है और इसका ऐतिहासिक महत्व भगवान श्रीराम के वनवास से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि श्रीराम अपने 14 वर्षों के वनवास के दौरान इस नगर में पधारे थे। तभी से इस स्थान को ‘राम पदावली’ कहा जाने लगा, जो कालांतर में ‘राम पायली’ बन गया।

600 वर्ष पुराना मंदिर

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, श्री राम मंदिर का निर्माण लगभग 600 वर्ष पूर्व भंडारा जिले के तत्कालीन मराठा भोसले द्वारा करवाया गया था। इसे वैज्ञानिक पद्धति से एक किले के रूप में नदी के किनारे बनाया गया था। इस मंदिर में इस प्रकार की खिड़कियाँ बनी हैं कि सूर्योदय के समय सूर्य की पहली किरण सीधे भगवान श्री राम बालाजी के चरणों पर पड़ती है। यह मंदिर भारत के प्राचीन इतिहास में भी उल्लिखित है और इसे अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है।

प्रतिमा का दिव्य दर्शन

श्री राम मंदिर में भगवान बालाजी और सीता जी की प्रमुख पवित्र प्रतिमाएँ स्थित हैं। भगवान राम की प्रतिमा वनवासी स्वरूप में है, उनके सिर पर जटा सुशोभित है और उनके बाईं ओर भयभीत एवं संकुचित रूप में माता सीता जी की प्रतिमा विराजमान है। भगवान श्रीराम अपने बाएँ हाथ से सीता जी के सिर पर संरक्षण का आशीर्वाद दे रहे हैं। यह अद्वितीय मूर्ति भक्तों को प्रत्यक्ष दर्शन का दिव्य अनुभव कराती है।

कार्तिक पूर्णिमा मेला

प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा को इस मंदिर में सात दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। पूर्णिमा की रात भगवान बालाजी को समर्पित 15 दीपक विशुद्ध घी से जलाए जाते हैं। यह मेला चंदन नदी के तट पर आयोजित किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से आए लाखों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं।

लंगड़े हनुमान जी की रहस्यमयी प्रतिमा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, मंदिर के निकट पूर्वाभिमुख लंगड़े हनुमान जी की रहस्यमयी प्रतिमा स्थित है। यह प्रतिमा स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती क्योंकि उनका एक पैर भूमि के ऊपर और दूसरा धरती के अंदर समाया हुआ है। वर्षों पूर्व इस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करने का प्रयास किया गया था, लेकिन खुदाई करने पर 50 फीट की गहराई तक उनका दूसरा पैर नहीं मिला। तब हनुमान जी ने स्वप्न में दर्शन देकर यही रहने की इच्छा जताई और कहा कि यदि मंदिर बनाना हो तो प्रतिमा के निकट ही बनाया जाए। भक्तों का मानना है कि हनुमान जी का एक पैर पाताल लोक तक विस्तारित है। इस अद्भुत कथा को सुनने के बाद श्रद्धालु भक्ति भाव से भर जाते हैं।

फोटो गैलरी

  • main entrance
  • balaji rampayali
  • shivling

कैसे पहुंचें:

वायु मार्ग द्वारा

निकटतम हवाई अड्डा गोंदिया है| अन्य हवाई अड्डे जबलपुर, एवं नागपूर है | हवाई अड्डे से पर्यटक स्थल तक की दूरी सड़क मार्ग या निकटतम रेलवे स्टेशन तक रेल मार्ग एवं पुनः सड़क मार्ग से तय की जा सकती है |

ट्रेन द्वारा

निकटतम रेलवे स्टेशन वारासिवनी है| वारासिवनी से निजी यात्री बसें प्रतिदिन रामपायली आवागमन करती है। है। राम पायली बस स्टैंड से कुछ मीटर दूरी पर ही श्रीराम बालाजी का भव्य मंदिर स्थापित है।

सड़क के द्वारा

बालाघाट मुख्यालय से निजी यात्री बसें प्रतिदिन रामपायली आवागमन करती है। राम पायली बस स्टैंड से कुछ मीटर दूरी पर ही श्रीराम बालाजी का भव्य मंदिर स्थापित है।