जिला बालाघाट प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता से भरपूर है, और यहां की पारंपरिक भोजनशैली भी विविधता एवं पौष्टिकता का अनुपम उदाहरण है। यहां के ग्रामीण अंचलों में वर्षा ऋतु से लेकर शरद ऋतु तक एक विशेष व्यंजन लोकप्रिय है — बरमाराकस या अरबी के पत्तों की बड़ी।
🌿 क्या है बरमाराकस की बड़ी?
यह व्यंजन स्थानीय रूप से उपलब्ध बरमाराकस (अरबी जैसी बेलनुमा पत्तियां) के प्रयोग से तैयार किया जाता है। ये पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं और शरीर के लिए लाभकारी माने जाते हैं।
🍃 बनाने की विधि
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पत्तों की तैयारी:
बरमाराकस या अरबी के पत्तों को अच्छी तरह धोकर सुखाया जाता है। फिर इन्हें उल्टी दिशा में (पिछली सतह ऊपर) रखकर इन पर बेसन का मसालेदार पेस्ट फैलाया जाता है। -
पेस्ट की सामग्री:
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बेसन
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हल्दी
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नमक
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लाल मिर्च
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अदरक-लहसुन का पेस्ट
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(इच्छानुसार अजवाइन या हिंग)
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रोलिंग और स्टीमिंग:
पत्तों को सावधानीपूर्वक रोल किया जाता है, फिर भाप में पकाया जाता है। यह तैयार बड़ी कई रूपों में प्रयोग की जाती है।
🍲 कई तरह की तैयारियाँ
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🔸 दही या छाछ की करी में पकाकर सब्ज़ी के रूप में
खट्टे स्वाद वाली दही या मही (छाछ) के साथ बनी सब्ज़ी में इन रोल की हुई बड़ी को पकाया जाता है, जो स्वाद और पाचन दोनों में लाभकारी होती है। -
🔸 स्टीम कर सीधे खाई जा सकती है
भाप में पकने के बाद बड़ी को ऐसे ही खाया जा सकता है। यह एक स्वास्थ्यवर्धक नाश्ता बनता है। -
🔸 फ्राय कर स्वादिष्ट नाश्ता
भाप में पकी बड़ियों को छोटे टुकड़ों में काटकर shallow fry या deep fry किया जा सकता है। यह कुरकुरी और चाय के साथ परोसने योग्य लज़ीज़ डिश बन जाती है।
🥣 पोषण और परंपरा का संगम
यह व्यंजन न केवल स्वाद में अद्वितीय है बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभकारी है। बेसन प्रोटीन से भरपूर होता है, जबकि बरमाराकस के पत्तों में फाइबर, आयरन, और विटामिन्स होते हैं।
🌾 बालाघाट की व्यंजनों में एक खास पहचान
बरमाराकस की बड़ी बालाघाट के ग्रामीण समाज की पारंपरिक पाक-कला का एक अनुपम उदाहरण है, जो आज भी गाँवों में लोकसंस्कृति और घरेलू रसोईयों का हिस्सा बनी हुई है।
👉 यदि आप बालाघाट आएं, तो इस पारंपरिक व्यंजन का स्वाद लेना न भूलें — यह न केवल स्वादिष्ट है बल्कि इस अंचल की आत्मा से भी आपको जोड़ेगा।