जिला बालाघाट जैविक विविधता, वन संपदा और पारंपरिक खानपान के लिए विख्यात है। यहाँ के बांस के जंगलों में मानसून के मौसम में एक खास किस्म का प्राकृतिक मशरूम उगता है, जिसे स्थानीय लोग बड़े चाव से संग्रह करते हैं और अपने भोजन में उपयोग करते हैं। यह मशरूम आकार और बनावट में ऑयस्टर मशरूम जैसा होता है, और वर्षा ऋतु में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है।
🌿 प्राकृतिक मशरूम की विशेषताएँ
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यह मशरूम पूरी तरह प्राकृतिक रूप से बांस के झुरमुटों में उगता है, बिना किसी रासायनिक खाद या खेती के।
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मानसून की शुरुआत के साथ ही यह मशरूम जंगलों में दिखाई देने लगता है और ग्रामीण समुदाय इसे स्वयं जंगल से एकत्र करते हैं।
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यह सफेद-भूरे रंग का, नरम और हल्के झुर्रीदार बनावट वाला होता है।
🍛 स्वादिष्ट करी में प्रयोग
इस प्राकृतिक मशरूम से बनाई गई मशरूम करी बेहद स्वादिष्ट होती है और बालाघाट के ग्रामीण इलाकों में एक विशेष व्यंजन मानी जाती है। इसे आमतौर पर प्याज, लहसुन, अदरक और मसालों के साथ पकाया जाता है और चावल या रोटी के साथ परोसा जाता है।
🌞 भविष्य के लिए संग्रहण की परंपरा
मानसून के दौरान जब यह मशरूम भरपूर मात्रा में मिलता है, तब बहुत से लोग इसे धूप में सुखाकर स्टोर कर लेते हैं ताकि वर्ष के अन्य महीनों में भी इसका स्वाद लिया जा सके। सूखे मशरूम को पानी में भिगोकर फिर से स्वादिष्ट सब्जी के रूप में तैयार किया जाता है।
✅ पोषण और परंपरा का मेल
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यह मशरूम प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी और मिनरल्स से भरपूर होता है।
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यह शाकाहारी भोजन में प्रोटीन का बेहतरीन विकल्प माना जाता है।
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यह पारंपरिक भोजन की एक ऐसी विधा है जो स्थानीय संसाधनों पर आधारित है और पर्यावरण-संवेदनशील भी।
🍽️ बालाघाट की वन्य पाककला की पहचान
प्राकृतिक मशरूम की करी बालाघाट के ग्रामीण और जनजातीय समाज की सहजता, परंपरा और स्वाद का एक अद्वितीय उदाहरण है। यह व्यंजन न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि यह स्थानीय जीवनशैली की सादगी और प्रकृति से जुड़ाव को भी दर्शाता है।
👉 जब आप बालाघाट आएँ, तो इस बांस वनों की स्वादिष्ट देन – प्राकृतिक मशरूम की करी का स्वाद अवश्य लें।