बंद करे

बालाघाट की विशेष मिठास: पूरन पोली

प्रकार:   डेजर्ट,हल्का नाश्ता
Puran Poli

बालाघाट, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, यहाँ की खानपान परंपरा भी समृद्ध और विविधतापूर्ण है। इसी में एक खास व्यंजन है पूरन पोली, जो त्योहारों और खास अवसरों पर बनाई जाने वाली पारंपरिक मिठाई है। यह व्यंजन बालाघाट के मराठी और मराठी-मालवी समुदायों में विशेष रूप से लोकप्रिय है और इसे खासतौर पर गुढ़ी पड़वा, होली, मकर संक्रांति और अन्य शुभ अवसरों पर बनाया जाता है।


पूरन पोली की पारंपरिक रेसिपी

सामग्री: (8-10 पूरन पोली के लिए)

🔹 भरावन (पूरन) के लिए:

  • 1 कप चना दाल (बालाघाट के स्थानीय बाजारों में आसानी से उपलब्ध)
  • 1 कप गुड़ (ग्राम्य क्षेत्रों में विशेष रूप से जैविक गुड़ लोकप्रिय है)
  • ½ छोटा चम्मच इलायची पाउडर
  • ¼ छोटा चम्मच जायफल पाउडर (वैकल्पिक)
  • 1 चुटकी नमक

🔹 आटे के लिए:

  • 2 कप गेहूं का आटा (स्थानीय उत्पादों से तैयार)
  • 2 चम्मच तेल या घी
  • आवश्यकतानुसार पानी

🔹 अन्य सामग्री:

  • घी (सेंकने के लिए)

बनाने की विधि:

भरावन (पूरन) तैयार करना:

  1. चना दाल को धोकर 30 मिनट के लिए भिगो दें।
  2. इसे कुकर में 2-3 सीटी आने तक पकाएं। दाल ज्यादा गीली न हो, इसे छानकर पानी अलग कर लें।
  3. पकी हुई दाल को अच्छे से मैश करें या मिक्सी में पीस लें।
  4. अब कढ़ाई में गुड़ डालें और धीमी आंच पर पिघलने दें।
  5. इसमें मैश की हुई दाल डालें और लगातार चलाते हुए तब तक पकाएं जब तक मिश्रण गाढ़ा न हो जाए।
  6. इसमें इलायची और जायफल पाउडर मिलाकर ठंडा होने दें।

आटा गूंधना:

  1. गेहूं के आटे में थोड़ा तेल और पानी मिलाकर मुलायम आटा गूंध लें।
  2. इसे 20-30 मिनट के लिए ढककर रख दें।

पूरन पोली बनाना:

  1. आटे की छोटी लोई लेकर इसे हल्का बेलें।
  2. इसमें एक चम्मच भरावन (पूरन) रखें और चारों तरफ से मोड़कर बंद कर दें।
  3. अब इसे धीरे-धीरे बेलकर गोल रोटी बना लें।
  4. गरम तवे पर हल्की आंच में घी लगाकर दोनों तरफ से सुनहरा होने तक सेंकें।
  5. घी के साथ गरमा-गरम परोसें।

बालाघाट और पूरन पोली का संबंध

बालाघाट जिला महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा से लगा हुआ है, इसलिए यहाँ महाराष्ट्रियन खानपान का प्रभाव देखने को मिलता है। मराठी समुदाय यहाँ वर्षों से निवास कर रहा है, और उनकी पारंपरिक मिठाइयों में पूरन पोली का विशेष स्थान है।

त्योहारों में पूरन पोली:

  • गुढ़ी पड़वा (मराठी नववर्ष) के अवसर पर इसे विशेष रूप से बनाया जाता है।
  • होली और मकर संक्रांति के दौरान गुड़ और तिल के अन्य व्यंजनों के साथ इसे भी खाया जाता है।
  • गणेश चतुर्थी पर इसे भगवान गणेश को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है।

बालाघाट में कई स्थानों पर, विशेष रूप से लालबर्रा, कटंगी और वारासिवनी जैसे क्षेत्रों में, यह व्यंजन पारंपरिक रूप से तैयार किया जाता है और इसे घी के साथ परोसा जाता है।