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सूरन की सब्ज़ी: बालाघाट की चटपटी परंपरा

प्रकार:   मुख्य भोजन
sooran veg

बालाघाट जिले की पारंपरिक रसोई में अनेक ऐसे स्वाद छुपे हैं, जो पीढ़ियों से स्थानीय लोगों को स्वाद और सेहत दोनों देते आ रहे हैं। ऐसी ही एक खास सब्ज़ी है — सूरन (जिसे जिमीकंद भी कहा जाता है) की खट्टी-चटपटी सब्ज़ी।


🌱 सूरन: एक देसी कंदमूल

सूरन एक कठोर लेकिन स्वादिष्ट कंदमूल है, जो ज़मीन के नीचे उगता है। यह स्वाद में तीखा और मसालेदार होता है, और पकने के बाद इसका टेक्सचर इतना उम्दा होता है कि कई लोग इसे “शाकाहारी मटन” कहकर पुकारते हैं।


🍋 बालाघाट की पारंपरिक विधि

बालाघाट जिले में सूरन की सब्ज़ी बनाने की पारंपरिक विधि विशेष और विशिष्ट है:

  1. सबसे पहले पूरे सूरन को उबाल लिया जाता है।

  2. उबालने के बाद उसे ठंडा करके छीलते हैं, फिर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटते हैं।

  3. अब एक कढ़ाई में तेल गर्म करके उसमें लहसुन, हरी मिर्च, हल्दी और लाल मिर्च का तड़का लगाया जाता है।

  4. फिर उसमें सूरन के टुकड़े डालकर अच्छी तरह भूनते हैं।

  5. इस सब्ज़ी की सबसे खास बात है इसकी खटाई — जो टमाटर या नींबू के रस के रूप में डाली जाती है। यही इसका मुख्य स्वाद निर्धारित करती है।


🧂 खट्टी और मसालेदार – एक अनोखा स्वाद

इस सब्ज़ी का स्वाद हल्का तीखा और ज़बर्दस्त खट्टा होता है। कुछ घरों में इसे सरसों के तेल में बनाया जाता है, जिससे इसका देसीपन और भी बढ़ जाता है। यह सब्ज़ी गरमा-गरम रोटी, दाल-चावल, या खिचड़ी के साथ खाई जाती है।


पोषण से भरपूर

सूरन में फाइबर, आयरन, पोटेशियम, और विटामिन बी6 भरपूर मात्रा में होते हैं। यह पाचन के लिए लाभकारी होता है और शरीर को गर्माहट देता है, इसलिए इसे खासकर सर्दी और बारिश के मौसम में अधिक खाया जाता है।


🌾 लोकजीवन में रचा-बसा स्वाद

सूरन की खेती बालाघाट के कई ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक तरीके से की जाती है। यह व्यंजन न केवल एक पारंपरिक स्वाद है बल्कि स्थानीय कृषि और खानपान संस्कृति का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।

👉 बालाघाट आएं तो सूरन की सब्ज़ी जरूर चखें — यह स्वाद वर्षों तक आपकी स्मृति में बना रहेगा।