जिला बालाघाट अपनी जैविक विविधता और पारंपरिक अन्नों के लिए जाना जाता है। यहाँ के जनजातीय और ग्रामीण अंचलों में आज भी पारंपरिक मोटे अनाज जैसे कोदो (Kodo Millet) का सेवन किया जाता है। इन्हीं में से एक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन है — कोदो की खीर।
🌾 कोदो क्या है?
कोदो एक प्रकार का मोटा अनाज है जो प्राचीन काल से आदिवासी क्षेत्रों में उगाया और खाया जाता रहा है। यह ग्लूटेन-फ्री, फाइबर युक्त, और आयरन, कैल्शियम एवं प्रोटीन से भरपूर होता है।
🍚 कोदो की खीर: पारंपरिक मिठास और पोषण का संगम
कोदो की खीर, दूध और गुड़/शक्कर के साथ तैयार की जाती है। यह एक आदर्श पारंपरिक मिठाई है जो न केवल स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि शरीर के लिए भी अत्यंत लाभकारी होती है।
📝 विधि
सामग्री:
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कोदो – 1/2 कप (भिगोया हुआ)
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दूध – 1 लीटर
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शक्कर या गुड़ – स्वादानुसार
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इलायची पाउडर – 1/2 छोटी चम्मच
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घी – 1 छोटी चम्मच
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सूखे मेवे – (काजू, किशमिश आदि – इच्छानुसार)
बनाने की प्रक्रिया:
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कोदो को अच्छे से धोकर 4–5 घंटे तक भिगो दें।
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एक पैन में दूध उबालें।
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भिगोया हुआ कोदो दूध में डालें और धीमी आँच पर पकाएँ।
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जब कोदो नरम हो जाए और दूध गाढ़ा हो जाए, तब शक्कर या गुड़ मिलाएँ।
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इलायची पाउडर और घी में भुने हुए सूखे मेवे मिलाकर खीर को और स्वादिष्ट बनाएँ।
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गरम या ठंडी – दोनों तरह से परोसी जा सकती है।
✅ पोषण से भरपूर
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कोदो खून की कमी (एनीमिया) से बचाता है।
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मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी (ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है)।
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पाचन में सहायक और वजन नियंत्रण में मददगार।
🌿 बालाघाट का स्वास्थ्यवर्धक उपहार
कोदो की खीर बालाघाट की स्थानीय कृषि, परंपरा और स्वास्थ्य का प्रतीक है। यह व्यंजन दिखाता है कि हमारे क्षेत्रीय अनाज किस तरह मिठास और पोषण का सुंदर मेल बना सकते हैं।
👉 जब आप बालाघाट आएँ, तो कोदो की खीर का स्वाद अवश्य लें – यह आपकी सेहत को भी मिठास से भर देगी।