पोला त्यौहार
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- मनाया जाता है/अवधि: August
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महत्त्व:
बालाघाट जिले में मनाया जाने वाला पोला त्योहार
मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में मनाया जाने वाला पोला त्योहार कृषि संस्कृति और परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह त्योहार भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाता है और विशेष रूप से किसानों द्वारा बैलों के प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट करने के लिए समर्पित होता है।
पोला त्योहार का महत्व
पोला मुख्य रूप से किसानों का त्योहार है, जो कृषि में बैलों की अहम भूमिका को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन किसान अपने बैलों को स्नान कराते हैं, उन्हें सजाते हैं और उनके सींगों पर तेल लगाकर सुंदर रंगों से सजावट करते हैं। बैलों को फूलों की मालाओं और रंग-बिरंगे कपड़ों से सजाया जाता है।बालाघाट जिले में पोला की विशेषताएँ
बालाघाट जिले में पोला त्योहार को पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यहाँ के गाँवों और कस्बों में इस दिन विशेष आयोजन किए जाते हैं। बच्चों के लिए लकड़ी के बैलों (नंदी बैल) से खेलने की परंपरा है। किसान अपने बैलों की पूजा कर उन्हें विशेष भोजन खिलाते हैं। इस दिन पारंपरिक व्यंजन भी बनाए जाते हैं, जिनमें पुरण पोली और मिठाइयाँ प्रमुख होती हैं।पोला की सांस्कृतिक एवं सामाजिक भूमिका
पोला केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और पारिवारिक एकता को भी दर्शाता है। यह त्योहार किसानों के परिश्रम और बैलों की मेहनत का सम्मान करता है। बालाघाट जिले में इस दिन विशेष मेलों और बाजारों का आयोजन किया जाता है, जहाँ ग्रामीण हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों की धूम रहती है। - Festive Attires :
पोला के दौरान होने वाली गतिविधियाँ
1. बैलों का साज-सज्जा एवं पूजन – सुबह से ही किसान अपने बैलों को नहलाकर सजाने में व्यस्त हो जाते हैं। इसके बाद विधिपूर्वक उनकी पूजा की जाती है।
2. रथ यात्रा एवं बैल दौड़ प्रतियोगिता – कई गाँवों में इस दिन बैलों की दौड़ का आयोजन किया जाता है, जो आकर्षण का केंद्र होती है।
3. बच्चों द्वारा नंदी बैल की पूजा – छोटे बच्चे लकड़ी के बने बैलों को सजाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
4. सांस्कृतिक कार्यक्रम – लोकगीत, नृत्य, एवं पारंपरिक खेलों का आयोजन किया जाता है, जिसमें गाँव के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।