सोनेवानी: एक पारिस्थितिक सर्कल की धुरी
मध्यभारत में प्रकृति, संरक्षण और समुदाय का अद्वितीय संगम
बालाघाट का सोनेवानी अब सिर्फ एक प्राकृतिक सौंदर्य स्थल या ईको-टूरिज्म केंद्र नहीं रहा, बल्कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमाओं तक फैले जैव-विविधता सर्कल का केंद्र बिंदु बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की 29वीं बैठक में इसे कंजर्वेशन रिज़र्व घोषित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया — जिससे यह क्षेत्र वन्यजीव संरक्षण, पारिस्थितिकी सन्तुलन और आजीविका विकास के लिए मील का पत्थर बन गया है।
पारिस्थितिक सर्कल का निर्माण
सोनेवानी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अब पेंच और कान्हा टाइगर रिज़र्व के लिए प्रत्यक्ष कॉरिडोर के रूप में कार्य करेगा। साथ ही महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी, नागझिरा-नवेगांव, मेलघाट टाइगर रिज़र्व, उमरेड करहंडला और मध्यप्रदेश के फेन अभयारण्य से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़कर वन्यजीवों के मुक्त विचरण का एक अद्वितीय पारिस्थितिक चक्र (Ecological Circle) रचता है — जो मंडला से लेकर नागपुर, चंद्रपुर और बैतूल तक फैला है।
वन्यजीवों का आदर्श निवास
सोनेवानी जंगल की विशेषताओं में शामिल हैं:
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6-7 स्थायी तालाब और सर्राटी नदी, जो पूरे वर्ष जल स्रोत उपलब्ध कराते हैं।
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सघन बांस, लैंटाना और सागौन के जंगल, जो शाकाहारी और मांसाहारी जीवों के लिए उपयुक्त आवास बनाते हैं।
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लगभग 180 वर्ग किमी का ह्यूमन-फ्री जोन, जो बाघिनों के लिए शावकों को सुरक्षित छिपाने का स्थान बनाता है।
ऐतिहासिक धरोहर: 158 वर्षीय सागौन का महावृक्ष
1867 में ब्रिटिश वन अधिकारी डिट्रिच ब्रांडिस द्वारा रोपा गया सागौन का पौधा आज भी सोनेवानी में 467 सेमी व्यास के साथ जीवित है। यह मध्य भारत का सबसे चौड़ा सागौन वृक्ष है और क्षेत्र की ऐतिहासिक वनसमृद्धि का प्रतीक है।
स्थानीय सहभागिता और सतत पर्यटन
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ईको-टूरिज़्म की नई दृष्टि: अब स्थानीय समुदाय तय करेगा कि जंगल का कितना हिस्सा पर्यटन व आजीविका के लिए उपयोग हो, ताकि वन्य जीवन पर कोई प्रभाव न पड़े।
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प्रशिक्षण, संरक्षण और रोजगार: स्थानीय समिति प्रशिक्षण, उत्पादक संसाधनों के दोहन और संरक्षण के संतुलन पर कार्य करेगी।
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AI निगरानी प्रणाली: आधुनिक कैमरों से वन्यजीव गतिविधियों की रियल-टाइम निगरानी की जाती है।
प्रमुख गतिविधियाँ और आकर्षण
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जीप सफारी व बर्ड वॉचिंग
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वन्यजीव अवलोकन व प्रकृति भ्रमण
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औषधीय पौधों की जानकारी
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आदिवासी हस्तशिल्प और लोक-संस्कृति दर्शन
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साफ-सुथरी, पर्यावरण-अनुकूल रात्रि विश्राम व्यवस्था
यात्रा की उपयुक्त अवधि
अक्टूबर से जून तक का समय सोनेवानी भ्रमण के लिए सबसे उपयुक्त है।
नवीन पहचान: “सोनेवानी कंजर्वेशन रिज़र्व”
अब यह क्षेत्र न केवल बालाघाट की जैवविविधता को सहेजेगा, बल्कि मध्य भारत में ईको-टूरिज़्म, संरक्षण और समुदायिक विकास का रोल मॉडल बनेगा।
आपका स्वागत है एक नए, समृद्ध और संरक्षित सोनेवानी में।
फोटो गैलरी
कैसे पहुंचें:
वायु मार्ग द्वारा
नजदीकी हवाई अड्डे – जबलपुर और नागपुर में स्थित हैं।
ट्रेन द्वारा
निकटतम रेलवे स्टेशन – बालाघाट जंक्शन।
सड़क के द्वारा
सोनेवानी सफारी, बालाघाट शहर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।