हट्टा की बावड़ी: ऐतिहासिक धरोहर
हट्टा की बावड़ी: ऐतिहासिक धरोहर
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के हट्टा ग्राम में स्थित हट्टा की बावड़ी एक ऐतिहासिक जल संरचना है, जिसका निर्माण गोंड राजा हटे सिंह वल्के ने करवाया था। माना जाता है कि राजा हटे सिंह वल्के के नाम पर ही इस गांव का नाम हट्टा रखा गया। इस बावड़ी का निर्माण गर्मी के मौसम में सैनिकों के छिपने, पेयजल, स्नान और विश्राम के उद्देश्य से किया गया था।
बावड़ी का ऐतिहासिक महत्व
हटा की बावड़ी का निर्माण 17वीं-18वीं शताब्दी में किया गया था और इसे विशाल चट्टानों को काटकर सजाया गया था। यह दो-मंजिला संरचना है, जिसमें प्रथम तल पर 10 स्तंभ और निचले तल पर 8 स्तंभों पर आधारित बरामदे और कक्ष निर्मित हैं। इस बावड़ी के प्रवेश द्वार पर चतुर्भुजी शिव और अंबिका देवी की सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है।
गोंड, मराठा और भोंसले शासन की छाप
गोंड राजाओं के शासनकाल के बाद, इस बावड़ी का उपयोग मराठा और भोंसले साम्राज्य के दौरान भी किया गया। इसी कारण, इसमें मराठा और भोंसले शासनकाल की कलाकृतियाँ देखने को मिलती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस बावड़ी के भीतर एक गुप्त सुरंग थी, जो लांजी किले और मंडला किले से जुड़ी हुई थी, हालांकि अब इसे बंद कर दिया गया है।
संरक्षण और पर्यटन महत्व
वर्तमान में, इस बावड़ी को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक के रूप में अधिगृहित किया गया है। इसकी सुंदर नक्काशी, स्थापत्य शैली और ऐतिहासिक महत्व इसे पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाते हैं।
कैसे पहुंचे?
- स्थान: ग्राम हट्टा, जिला बालाघाट, मध्य प्रदेश
- निकटतम रेलवे स्टेशन: बालाघाट जंक्शन
- निकटतम हवाई अड्डा: नागपुर (लगभग 200 किमी)
- सड़क मार्ग: बालाघाट से हट्टा तक बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं।
पर्यटन आकर्षण
✔ प्राचीन स्थापत्य कला – 17वीं-18वीं शताब्दी की दो-मंजिला जल संरचना।
✔ ऐतिहासिक महत्व – गोंड, मराठा और भोंसले शासनकाल की छवि लिए हुए।
✔ अद्भुत नक्काशी – प्रवेश द्वार पर शिव और अंबिका देवी की प्रतिमाएँ।
✔ संरक्षित स्मारक – भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित।
✔ सुरंग कथा – लांजी और मंडला किले से जोड़ने वाली सुरंग का उल्लेख।